Rajesh rajesh

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लेखनी कहानी -10-May-2023 सुहागन की पहचान

दीपू के दोनों बड़े भाई दीपू को डॉक्टर इसलिए बनाना चाहते थे, क्योंकि उनके गांव के आसपास ना तो कोई अस्पताल था, और ना ही गांव में कोई डॉक्टर की दुकान थी।


गांव में जब कोई व्यक्ति बीमार हो जाता था, तो उसे गांव से शहर के अस्पताल ले जाना बहुत मुश्किल होता था।

कभी-कभी तो गांव से शहर के अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता था। 

इसलिए दीपू के दोनों बड़े भाई दीपू को यह बताते थे कि ऐसे ही गांव से शहर के अस्पताल ले जाते जाते हमारे पिता का भी निधन हो गया था।

इसलिए हम चाहते हैं कि हमारा छोटा भाई अपने गांव में डॉक्टर बनने के बाद एक नर्सिंग होम खोलें।

दीपू अपने भाइयों की ऐसी बातें सुन सुनकर एक दिन पढ़ लिखकर डॉक्टर बन जाता है। और अपने गांव में ही एक छोटा सा नर्सिंग होम खोल लेता है।

गांव में नर्सिंग होम खोलने के बाद दीपू के दोनों भाई और दोनों भाभियां उसके नर्सिंग होम में पूरा सहयोग देते थे।

गांव में नर्सिंग होम खुलने के बाद लोगों को इलाज की बहुत सुविधा हो गई थी, और गांव में अब बीमारी से मौतें भी कम होती थी। इसलिए सारे गांव के लोग दीपू और उसके परिवार को दिल से बहुत दुआ देते थे।

डॉक्टर बनने के बाद दीपू के लिए बहुत अमीर और बड़े-बड़े खानदानों के शादी के रिश्ते आने लगे थे।

दीपू के दोनों भाई भाभियों को एक नीतू नाम की लड़की दीपू के साथ शादी करने के लिए पसंद आ जाती है।

नीतू गांव की नहीं शहर की रहने वाली लड़की थी।

नीतू के पिता का व्यापार देश विदेश तक फैला हुआ था।

नीतू के माता-पिता ने नीतू को बहुत लाड़ दुलार से पाला था।

और नीतू अपने पिता के व्यापार का सारा काम संभालती थी। इसलिए नीतू को अपने पिता के व्यापार की वजह से पिता के साथ कई कई महीनों विदेश में रहना पड़ जाता था।

इसलिए नीतू शादी के बाद अपने हस्बैंड के साथ विदेश की नागरिकता लेना चाहती थी।

शादी के एक दो महीने बाद नीतू डॉक्टर दीपू से अपना देश छोड़कर विदेश की नागरिकता लेने की कहती है।

डॉक्टर दीपू नीतू को बड़े प्यार से समझाता है की पराए देश में घर जमीन खरीदने के बाद भी पराई लगेगी और अपने देश में अपना घर बनाने के बाद अपना लगेगा। 

नीतू को अपने पति डॉ दीपू की यह बात बहुत अच्छी लगती है और वह विदेश की नागरिकता लेने का फैसला बदल देती है।

दीपू और दीपू के भाई भाभियां नीतू को किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने देती थी। और गांव के लोग भी डॉक्टर दीपू की पत्नी नीतू का बहुत आदर सत्कार करते थे।

नीतू पढ़ी लिखी मॉडल नए ख्यालों की लड़की थी, इसलिए वह अपनी मांग में सिंदूर भरना पसंद नहीं करती थी।

शादी के बाद सुहागिनों का मांग में सिंदूर भरना नीतू को एक बेफिजूल का काम लगता था।

एक दिन दीपू अपने नर्सिंग होम के लिए कुछ सामान लेने अपनी कार से शहर जाता है।और हाईवे पर उसका एक ट्रक से एक्सीडेंट हो जाता है। 

डॉक्टर दीपू के एक्सीडेंट की खबर जब उसके भाई भाभियों नीतू और गांव वालों को पता चलती है तो सब जल्दी से जल्दी शहर के अस्पताल जाते हैं दीपू को देखने के लिए। 

शहर के अस्पताल का बड़ा डॉक्टर कहता है कि "दीपू की हालत बहुत नाजुक है और उसकी जान भी जा सकती है।"

शहर के बड़े डॉक्टर से यह बात सुनने के बाद नीतू की नजर अचानक दीपू की भाभियों और गांव की सुहागन महिलाओं पर जाती है, तो उनकी मांग में सिंदूर देखकर उसे उस दिन सिंदूर की कीमत का एहसास होता है कि वह महिलाएं कितनी भाग्यशाली होती हैं जिन्हें अपने पूरे जीवन मांग में सिंदूर भरने का मौका मिलता है।

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2 Comments

बहुत बेहतरीन

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madhura

11-May-2023 12:11 PM

nice

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